नई दिल्ली, ग्लोबल न्यूज़ 24 लाइव:
आज सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून को लेकर ऐतिहासिक और भावनात्मक बहस देखने को मिली। कोर्ट नंबर 1 में पैर रखने की जगह नहीं थी। ऐसा महसूस हो रहा था जैसे आज सिर्फ याचिकाकर्ता ही नहीं, बल्कि पूरी मुस्लिम क़ौम अपनी तहज़ीब और हक़ की लड़ाई के लिए अदालत में खड़ी थी।
करीब 200 से अधिक वकील और याचिकाकर्ता कोर्ट रूम में मौजूद थे। मुख्य बेंच में *CJI संजीव खन्ना, जस्टिस *मनोज मिश्रा और जस्टिस के वी विश्वनाथन शामिल थे।
सुनवाई दोपहर 2:08 पर शुरू हुई, और कोर्ट ने सबसे पहले सवाल उठाया —
“क्या इस मामले को राज्यवार हाई कोर्ट्स को भेजा जाना चाहिए?”
अगर यह केस राज्यों में बांट दिया जाता, तो *एकजुट कानूनी लड़ाई बिखर जाती, और 73 याचिकाएं अलग-अलग दिशाओं में बंट जातीं। इसी मोड़ पर कोर्ट में खड़े हुए *सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, जिनकी आवाज़ में वज़न था और बातों में दर्द।
कपिल सिब्बल की दलीलें:
“माई लॉर्ड, ये वक्फ की ज़मीन का मामला नहीं है — ये हमारी रूह का मामला है। मस्जिदें, मदरसे, कब्रिस्तान, मज़ारें — ये हमारी पहचान हैं। ये हमारी तहज़ीब के हिस्से हैं।”
उन्होंने साफ कहा —
“ये संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 29 और 30 की सुरक्षा से जुड़ा सवाल है। इसे टुकड़ों में मत बांटिए, इसे यहीं सुप्रीम कोर्ट में सुना जाए।”
इसके बाद चर्चा हुई सबसे विवादित हिस्से धारा 3(r) पर, जिसमें ‘वक्फ बाय यूज़र’ का ज़िक्र है। सरकार की दलील थी कि अगर किसी ज़मीन का आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है, तो उसे वक्फ नहीं माना जाएगा।
इस पर सिब्बल ने तीखा सवाल उठाया —
“क्या दुआओं का कोई दस्तावेज़ होता है?”
“क्या मज़ारों की चादरें, मस्जिदों की अज़ानें, ताज़ियतें सरकारी रजिस्टर में दर्ज होती हैं?”
पूरे कोर्ट में गहरी खामोशी छा गई — और उस सन्नाटे में इंसाफ की तहरीर लिखी जा रही थी।
कोर्ट का आदेश:
सुनवाई के अंत में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ बेहद अहम अंतरिम आदेश पारित किए:
- जब तक केंद्र सरकार जवाब नहीं देती — वक्फ बोर्ड में कोई भी नई नियुक्ति नहीं होगी।
(ना मुस्लिम, ना गैर-मुस्लिम) - कलेक्टर या कोई भी अधिकारी वक्फ बाय यूज़र से जुड़ा कोई नया नोटिफिकेशन जारी नहीं करेगा।
- वक्फ रजिस्ट्रेशन या यूज़र डेटा में कोई छेड़छाड़ नहीं होगी।
- 73 याचिकाओं में से सिर्फ 5 मुख्य याचिकाओं पर सुनवाई होगी, और सिर्फ उन्हीं संवेदनशील मुद्दों को अदालत सुनेगी जो इस कानून की बुनियाद से जुड़े हैं।
- जब तक अगला आदेश नहीं आता — मौजूदा स्थिति जस की तस बनी रहेगी।
अब आगे क्या?
- केंद्र सरकार को 7 दिन में अपना जवाब देना होगा।
- इसके बाद याचिकाकर्ता 5 दिन में अपना प्रतिउत्तर देंगे।
- इसके बाद सुप्रीम कोर्ट अंतिम सुनवाई की ओर बढ़ेगा।
तो फिलहाल:
- न कोई नियुक्ति होगी
- न नया आदेश जारी होगा
- न ही डेटा में छेड़छाड़ होगी
- और न ही मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव
ग्लोबल न्यूज़ 24 लाइव इस ऐतिहासिक लड़ाई की हर अपडेट आप तक लाता रहेगा।
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